भर जाति के नाम पर भारत का नामकरण किसी भी स्थान के नामकरण के पीछे कोई न कोई ठोस आधार अवश्य होता है जिसके आधार पर मनुष्य किसी भी स्थान, गांव, शहर. प्रदेश व देश का नामकरण करता आया है। धीरे धीरे नियत नाम जन मानस में व्यापक रूप से प्रचारित प्रसारित हो जाता है। कालान्तर में उन नामों में बोलचाल की भाषा या भाषा अशुद्धि के कारण धार्मिक सोच के अनुरूप सुधार भी होता रहा है। 1-जैसे मेरे बगल के गांव परशुरामपुर को ही लिया जाये। मेरे बचपन में इस गांव को पसरमापुर कहते थे। आज भी कुछ बुजुर्ग बातचीत में पसरमापुर कह ही देते हैं। परन्तु गत 30-35 वर्षो से रामचरित मानस में चर्चित यमदग्नि के पुत्र परषुराम के नाम पर धार्मिक सोच व भाषा शुद्धि के फलस्वरूप पसरमापुर को परशुरामपुर कहा जाने लगा। पत्राचार में आते जाते अब सरकारी रिकार्ड में भी परशुरामपुर हो गया है। 2- इसी प्रकार राजा लाखन भर के द्वारा बसाया गया, लाखनपुरी से बने लखनऊ नगर को धार्मिक सोच के कारण रामायण के राम के भ्राता लक्ष्मण के द्वारा बसाया लिखा गया। जबकि, लक्ष्मण ने राम की सेवा के अतिरिक्त कभी शासन किया नहीं, फिर लक्ष्मण के द्वारा लखन...
कुछ राजपूत प्राचीन निवासियो कि संतान है अर्थात मध्य प्रान्त तथा दक्षिण के गोंड और भर क्रमश: उन्नति कर के अपने को राजपूत कहने लगे! बुन्देल खंड के चंदेल, दक्षिण के राष्ट्र कूट राजपूताने के राठोर और मध्यप्रांत के गोंड तथा भर यहाँ के राजपूत संतान है! ( अर्ली हिस्ट्री ऑफ़ इंडिया चतुर्थ संस्करण) राजपूतो कि उत्पति गोंडा ख्ख्द और भर जाति से हुई है! यह भर जाति सूर्यवंशी, नागवंशी, भारशिव और बाद मे राजपुत्र कहलाई( देखे कंट्री बुसन तो दी हिस्ट्री ऑफ़ बुन्देल खंड , इंडियन अन्तेकर्री XXXII १९०८ पेज १३६,३७ ) !
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भर और संविधान १९३५ ई. मे भारत सरकार ने " गवर्नमेंट ऑफ़ इंडिया एक्ट ऑफ़ १९३५ " पास किया! ईस एक्ट के मे ४२९ जातियों का समावेश किया गया ! सवेक्षण से पता चला "राजभार", "राज्झार", "रजवार","राजवार" और भर एक ही जाति के अलग अलग नाम है ! उत्तरप्रदेश, बिहार, उड़ीसा, बंगाल, मध्यप्रदेश और बेरार मे राज्भारो कि उपस्थिति बताई गयी है ! जिनकी जनसँख्या सर्वेक्षण के अनुसार ६,३०,७०८ थी ! १९३१ ई. कि जनगणना रिपोर्ट के अनुसार यह गणना ठीक बैठती है ! इसमें भरो कि सम्पूर्ण जनसँख्या ५,२७६,१७४ बताई गयी है ! भरत के विभिन्न प्रदेशों मे भर/ राजभर जाति के लोग पाए जाते है ! पर ईस जाति कि जनसँख्या का घनत्व पूर्वांचल के जिलो मे अधिक है !ईस जाति के समग्र विकास के लिए भरत सरकार से समय समय पर सरकारी नौकरियो मे आरक्षण कि मांग कि जाति रही है ! सरकारी दस्तावेजो के अनुसार भर/राजभर को अनुसूचित जाति या अनुसूचित जनजाति के समकक्ष तो मान लिया गया है पर उस सूचि मे इस जाति को अभी तक समाहित नहीं किया गया है ! उत्तरप्रदेश सरकार ने भर/राजभर जाति को अनुसूचित जनजाति मे शामिल करने का...
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